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कहानी

जमानत पर

डेनिस जॉनसन

अनुवाद - चंदन पांडेय


जैक होटेल को मैंने तीन-पीस सूट में देखा, अपने चेहरे पर उमगती तकलीफ को अनचीन्ही चमक से छुपाए उसने बाल पीछे की तरफ काढ़ रखे थे। वाइन नामक जगह पर जैक को चाहने वाले, उसे जानने वाले और यहाँ तक कि वो भी जो उसे पहचानते भी न थे, जैक के लिए लगातार पेग-दर-पेग खरीदे जा रहे थे। मौका उदासी और आनंद, दोनों, का था। जैक हथियार की नोक पर लूटने का मुकदमा लड़ रहा था। अभी वो दोपहर के भोजन के वक्त अदालत से बाहर आया हुआ था। उसने अपने वकील की आँखों में झाँका और थाह कर खुद को समझाने लगा कि मुकदमा जल्द ही खत्म हो जाएगा। किसी कानूनी गणित के आसरे, जो सिर्फ किसी दोषी का मस्तिष्क ही बूझ सकता है, उसने अनुमान लगाया कि उसे पच्चीस वर्षों को कैद मिलेगी।

यह सब इस कदर भयावह था कि इसका होना सिर्फ चुटकुलों में ही संभव था। मैं खुद भी किसी ऐसे आदमी को नहीं जानता था जिसने इस धरती पर इतना लंबा जीवन जिया हो। जहाँ तक होटेल की बात ठहरी, वो अभी अट्ठारह या उन्नीस का था।

यह अवस्था, अब तक, किसी गंभीर बीमारी की मानिंद रहस्य थी। इस राज को अब तक बरतने की खातिर जैक से मुझे ईर्ष्या हुई और इस बात का भय भी हुआ कि होटेल जैसा कमजोर युवक इस घटना की डींग हाँकने को तवज्जो नहीं देता था। एक बार होटेल ने मुझसे एक सौ डॉलर उधार लिए थे और यों भी अक्सर पीठ पीछे मैं उसकी बुराई बतियाता था, फिर भी मैं उसे इस इलाके में आने के पहले दिन से जानता था। उस समय वो पंद्रह या सोलह का था। उसने मुझसे अपनी मुश्किल साझा करना मुनासिब नहीं समझा, इस बात से मैं अचंभित भी था और दुखी भी। ऐसा लगा जैसे यह कोई पूर्वघोषणा है कि ऐसे लोग मेरे मित्र नहीं हो सकते।

अभी उसके बाल इस कदर साफ और चमकीले थे जैसे इस भूमिगत इलाके में भी सूर्य चमक रहे हों और वो भी सिर्फ उसी के लिए चमक रहे हों।

वाइन नाम की उस जगह को मैंने गौर से देखा। वह लंबी, सँकरी जगह रेल की रुकी हुई बोगी की तरह थी। वहाँ मौजूद सब के सब कहीं से भागे हुए लग रहे थे - कईयों की कलाई पर अस्पताल के नाम का पट्टा बँधा हुआ दिखा। अपनी शराब के लिए वो लोग जाली नोट देना चाह रहे थे, जो उन्होंने 'फोटोकॉपी' करके बनाए थे।

"बहुत पहले की बात है" जैक ने कहा।

"किया क्या था तुमने? किसको लूटा?"

"पिछले वर्ष की बात है भाई, पिछले वर्ष की।" उसने खुद से खुद में शर्माते हुए यह बात ऐसे कही और होने वाली सजा को बुदबुदाया जो उसका ताउम्र पीछा करने वाली थी।

"किसको लूटा बे, होटेल?"

"अरे यार, मत पूछो न यार, चलो दूर हटो।" वह आप ही पीछे पलट कर किसी दूसरे से बातचीत में मशगूल हो गया।

वाइन हर दिन नए रंग रूप में दिखती जगह थी। मेरे जीवन की कुछ भयावह घटनाएँ इसी जगह पर घटी थीं। लेकिन दूसरों की तरह मैं यहाँ आता रहा। और वो लोग जो मुझे प्यार करते थे उन्हें यहाँ न पाकर मेरा दिल बैठ जाता था। तब मुझे अपनी पत्नी याद याद आती थी जो मुझसे प्रेम करती थी, और फिर यह याद कर मैं दहल उठता था कि मेरी पत्नी मुझे कब छोड़ चुकी है, कुछ देर बाद मुझे अपनी सुंदर परंतु शराबी प्रेमिका याद आती थी जो मुझे हर हमेशा खुश रखती थी। लेकिन जितनी मर्तबा मैं इस जगह आऊँ कुछ ढके चेहरे वाले किसी न किसी गलती के लिए क्षमाप्रार्थी मुद्रा में दिख जाते थे।

उस रात बैठने के लिए, मैंने एक भूतपूर्व मुक्केबाज किड विलियम्स के सामने की गुमटी चुनी। उसका काला हाथ विकृत हो चुका था। मेरे भीतर अक्सर यह महसूसियत घर किए रहती थी कि किसी भी पल यह आदमी अपना हाथ बढ़ाएगा और गला दबा कर मेरी हत्या कर देगा। वह दो आवाजों से लैस था। पचास की उम्र होगी और उसने अपना समूचा जीवन व्यर्थ जाने दिया था। ऐसे लोग हमारे जैसों के प्रिय इसलिए होते थे जिनने अपनी उम्र का एक हिस्सा ही बर्बाद किया हो।

अस्पताल के नाम वाली पट्टी वाली बात मनगढ़ंत नहीं थी क्योंकि मैंने देखा किड विलियम भी उस नाम की एक पट्टी बांधे हुए था। वह डेटोक्स से वाइन की दीवार तक आया और ऊँची आवाज में कहने लगा, "कोई मेरे लिए एक पेग खरीद दो, भाई" फिर झुँझलाते हुए मद्धिम आवाज में कहा, "मैं यहाँ बेहद कम समय के लिए आया हूँ''। पुनः अपनी आवाज में भारीपन लाते हुए कहने लगा, "मैं तुम सब से मिलना चाहता था ! कोई मेरे लिए एक पेग खरीद दे, मेरे पास मेरा बटुआ नहीं है, उन लोगों ने सब छीन लिया। चोर कहीं के।" उसने कपड़े भी अस्पताल वाले ही डाल रखे थे।

अचानक ही मुझे याद आया कि होटेल ने, या उसके किसी परिचित ने, बताया था कि हथियार के दम पर लूटने के मामले में जैक मुश्किल में पड़ चुका है। जैक ने बंदूक दिखा कर उन छात्रों से पैसे तथा नशीले पदार्थ लूट लिए थे, जो खुद कोकीन बेचने का कारोबार कर रहे थे। इन छात्रों ने जैक को सबक सिखाने की ठान ली।

और तभी मेरे जीवन को चौंकाने वाली घटना की तरह यह तथ्य सामने आया कि ये सारा समारोह जैक की विदाई के आयोजन में न होकर बल्कि उसके स्वागत में है। उसे रिहाई मिल गई थी। उसके वकील ने इस अनोखे तर्क की जुगत से जैक को बचा लिया कि वह कोकीन बेचने वालों से अपने समाज के लोगों को बचाना चाहता था। न्यायाधीश इस मानसिक काश-मकश में फँस गए कि आखिर दोषी कौन है और फिर सबको छोड़ दिया। मेरी जैक से उस दोपहर की बातचीत का लब्बोलुआब तो इतना ही था, फिर भी यह समझना मुश्किल था कि आखिर हो क्या रहा है?

वाइन में ऐसे बहुतेरे मौके आए जब कुछ समझ न आता हो - जहाँ आपको वर्तमान अतीत लगे या अतीत सुदूर भविष्य सा लगे। क्योंकि हम सब खुद को दुखियारा मानते थे और दबाकर शराब पीते थे। हममें हर-हमेशा वो दुर्भाग्यशाली वाली महसूसियत रही। हम हथकड़ियों में ही मर सकते थे। हमारा होना किसी भी दिन रोका जा सकता है, ऐसा हमें अक्सर लगता था। और हरदम ही बेहूदा वजहों से हमें निर्दोष करार दिया जाता था।

होटेल को उसका जीवन वापस कर दिया गया था, वो पच्चीस वर्ष जिसकी उसे सजा हो सकती थी। उसके भाग्य से पुलिस वाले इस कदर नाराज थे कि यह हिदायत सौंपी, अगर वह इस शहर में दुबारा दिख गया तो पुलिस वाले उसके जीवन पर उसे अफसोस करा देंगे। वह फिर भी कुछ दिनों के लिए रुका पर अपनी प्रेमिका से झगड़ कर शहर छोड़ दिया - डेनेवर, रेनो और भिन्न भिन्न पश्चिमी शहरों में नौकरी किया - और फिर साल भीतर ही लौट आया क्योंकि अपनी प्रेमिका से दूर रहना गवारा नहीं हो रहा था।

इन दिनों वह बीस या इक्कीस का था।

वाइन नामक जगह बर्बाद हो चुकी थी। शहर के नवीनीकरण ने सारी सड़कों और गलियों को बदल डाला था। जहाँ तक मेरा सवाल है, मैं अपनी प्रेमिका से अलग हो चुका था, लेकिन फिर भी हम मिलते जुलते रहते थे।

एक रात हम दोनों में झगड़ा हुआ, और मैं उन गलियों में निकल आया और तब तक चलता रहा जब तक कि सुबह न हो गई और शराबखाना खुल नहीं गया।

जैक होटेल वहीं मिला, शराब पी रहा था। वहाँ हम दोनों जैसे कुछ और भी लोग थे, जिससे हमें राहत ही मिली।

ऐसा हमेशा नहीं होता कि मैं सुबह के नौ बजे शराब पी रहा होऊँ और आस पास बैठे लोगों से झूठ बोल रहा होऊँ।

जैक भी अपनी प्रेमिका से झगड़ा कर आया था। वो भी इतना ही लंबा पैदल चल कर इस शराबखाने में आया था। हम दोनों तब तक एक दूसरे का पीने में साथ देते रहे, जब तक हम दोनों का पैसा खत्म न हो गया।

मैं एक मरे हुए किरायेदार को जानता था जिसके नाम हर महीने पेंशन का चेक आता था। पिछले छः महीने से मैं उन्हें चुरा रहा था, सदा-सर्वदा काँपते हुए मैं यह काम करता था, उस चेक के आने के दो दिन बाद तक मैं इंतजार करता था, हर हमेशा यह सोचता था कि कुछ डालर कमाने की ईमानदार जुगत निकाल लूँगा, हमेशा इस पर यकीन करता था कि मैं ईमानदार हूँ, मुझे ऐसा काम नहीं करना चाहिए, हर बार इस डर के साथ मैं यह चोरी करता था कि कहीं मेरी चोरी पकड़ी न जाए।

इस बार होटेल भी मेरे साथ चेक चोरी करने गया। मैंने जाली हस्ताक्षर कर चेक पर होटेल का नाम लिख कर दिया, ताकि वो सुपर मार्केट में इसे भँजा सके। मुझे यकीन था कि चेक मालिक का नाम जोर्ज होद्देल था। यह जर्मन नाम था। हमने उस पैसे से चरस खरीदी और बीच रास्ते में कहीं उसका बँटवारा कर लिया।

तब वो अपनी प्रेमिका को ढूँढ़ने और मैं अपनी प्रेमिका की तलाश में निकल आया, यह जानते हुए कि पास में चरस हो तो वो 'सरेंडर' कर देती है।

लेकिन पूरी रात जगने से और शराब पीने से मेरी हालत खराब हो गई थी। जैसे ही चरस मेरे भीतर गई, मैं मर गया। दो घंटे कैसे बीत गए मुझे होश ही नहीं रहा।

मुझे लगा मैं सिर्फ अपनी आँखें ही हिला सकता हूँ, जैसे ही आँखें खुली, देखा कि मेरी प्रेमिका और मेरा एक मेक्सिकी पड़ोसी मुझे जिंदा करने के लिए जी जान से जुटे हुए थे। मेक्सिकी कह रहा था, "अब लग रहा है, बच जाएगा।"

हम तंग और गंदी खोली में रहते थे। जब मुझे यह एहसास हुआ कि मैं जीवन से दूर जा चुका था और मरने के कगार पर था, मेरा वह छोटा सा कमरा जुगनू सा दिपदिपाने लगा। नहीं मरने की खुशी ने मुझे अतिरिक्त खुशी से भर दिया था। जीवित बच निकलने के अपने इस आश्चर्य को हद-बे-हद मैं एक मजाक मान सकता था। रहस्य के इस परदे को छूना तो दूर की बात, किसी भी मौके पर हमने यह नहीं सोचा था कि एक दिन हमारे फेफड़े रोशनी से भरे हुए होंगे। एक क्षण के लिए ही सही, मुझे उस रात गर्व हुआ। मैं निश्चिंत था कि मैं जीवित सिर्फ इसलिए हूँ क्योंकि उस रात मैं किसी दूसरी जगह नहीं गया।

होटेल की बात करें, जो उस रात बिल्कुल मेरे ही हाल में था और उसके पास मेरे जितना ही चरस था परंतु उसकी प्रेमिका उसमें हिस्सा न ले सकी क्योंकि उस दिन उसे खोज ही नहीं पाया। वह शहर के बाहरी हिस्से में एक परिचित के घर गया और सारी चरस चढ़ा बैठा। वह गहन नींद में डूब गया और दूसरों की मानें तो मरा हुआ लग रहा था।

उसके साथ के लोग जैक के जिलाए रखने की बस इतनी कोशिश कर रहे थे कि उसकी नाक के नीचे एक छोटा सा आईना लगा दिया था। हल्की साँसों से उभरती भाप ही उसके जीवन का सबूत था। कुछ ही देर में लोग उसे भूल गए, और बिना किसी के संज्ञान में आए उसकी अविरल साँस थम गई। वह शिथिल पड़ गया और अंततः मर गया।

मैं अब तक तो जीवित हूँ।


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